Friday 26 August 2022

Veer tejaji maharaj ki jeevani katha वीर तेजाजी महाराज की कथा जीवनी

 वीर तेजाजी महाराज की कथा जीवनी इतिहास Veer Tejaji Maharaj Ki KathaFull History In Hindi : लोकदेवता वीर कुंवर तेजाजी जाट समुदाय के आराध्य देव हैं. मुख्य रूप से राजस्थान, हरियाणा गुजरात और मध्यप्रदेश में मुख्य रूप से पूजे जाते हैं. किसान अपनी खुशहाली के लिए खेती में हल जोतते समय तेजाजी महाराज की पूजा करता हैं. तेजाजी अपने वचन के लिए सबसे लोकप्रिय देवता हैं. जिन्होंने सर्प देवता को अपने कहे वचन के अनुसार गायों को छुड़ाकर अपनी जान कुर्बान की थी. इस कारण आज भी सर्पदंश होने पर तेजाजी महाराज की मनौती मांगी जाती हैं. उनकी घोड़ी का नाम लीलण एवं पत्नी का नाम पेमल था.

ज्ञात जानकारी के मुताबिक़ वीर तेजाजी का जन्म 29 फरवरी 1074 (माघ शुक्ल १४, विक्रम संवत् ११३०) को नागौर जिले के खड़नाल ग्राम में हुआ था. इनके पिता का नाम थिरराज तथा माँ का नाम रामकुंवरी था.


लोगों में प्रचलित मान्यता के अनुसार इनका विवाह पनेर ग्रामवासी रायमल जी की पुत्री पेमल से हुआ था. कम उम्रः में ही विवाह हो जाने के कारण उन्हें इस बात की जानकारी नही थी.

इस राज को तेजाजी से छुपाये जाने के पीछे वजह यह थी, कि किसी कारण से थिरराज और पेमल के मामा के बिच झगड़ा हो गया, खून की प्यासी तलवारे चलने से इसमें पेमल के मामा मारे गये थे. इसी वजह से उनकों अपने विवाह प्रसंग के बारे में किसी ने नही बताया था.


धौलिया कुल में जन्में तेजाजी खरनाल के शासक थे, उनके पास 24 ग्राम का सम्राज्य था. एक बार त ,में हल जोतते समय उनकी भाभी द्वारा देरी से खाना पहुचाने पर तेजाजी को गुस्सा आ गया, तथा उन्होंने देरी की वजह जाननी चाही, तो तेजाजी की भाभी उनके वैवाहिक प्रसंग के बारे में बताते हुए ताने भरे स्वर कहे-


इस पर तेजाजी अपनी घोड़ी लीलण पर सवार होकर ससुराल की ओर चलते. वहां पहुचने पर सांस द्वारा उन्हें अनजान में श्राप भरे कड़वे शब्द कहे जाते हैं, इस पर वो क्रोधित होकर वापिस चल देते हैं.


पेमल को जब इस बात का पता चलता हैं. वो तेजाजी के पीछे जाती हैं, तथा उन्हें एक रात रुकने के लिए मना देती हैं. तेजाजी ससुराल में रुकने की बजाय लाछा नामक गुजरी के यहाँ रुकते हैं. संयोगवश उसी रात को लाछा की गायें मीणा चोर चुरा ले जाते हैं.


लाछा गुजरी जब तेजाजी को अपनी गाये छुड़ाने की विनती करती हैं, तो तेजाजी गौ रक्षार्थ खातिर रात को ही मीनों का पीछा का पीछा करने निकल जाते हैं.


राह में उन्हें एक सांप जलता हुआ दिखाई दिया, जलते सांप को देखकर तेजाजी को उस पर दया आ गई. तथा भाले के सहारे उसे आग की लपटों से बाहर निकाल दिया. सांप अपने जोड़े से बिछुड़ जाने से अत्यधिक क्रोधित हुआ. तथा उसने तेजा जी को डसने की बात कही.


तेजाजी ने नागदेवता की इच्छा को बड़ी विनम्रता से स्वीकार करते हुए, सांप से गाये छुडाने के बाद वापिस आने का वचन देते हैं. इस पर नाग उनकी बात मान लेते हैं.


तेजाजी चोरों से भयंकर युद्ध करते हैं, इससे उनका सारा शरीर लहुलुहान हो गये मगर सारी गायों को छुड़ाकर वापिस ले आए, इसके बाद बाद अपने वचन की पालना हेतु नाग के पास पहुचते है और उसे डसने को कहते हैं. नाग तेजाजी के घायल शरीर को देखकर पूछते हैं मै कहाँ डंक मारू आपका शरीर तो लहूलुहान हो चूका हैं.


इस पर तेजाजी अपनी जीभ निकालकर जीभ पर डंक मारने को कहते हैं. इस प्रकार  किशनगढ़ के पास सुरसरा में भाद्रपद शुक्ल 10 संवत 1160, तदनुसार 28 अगस्त 1103 के दिन तेजाजी की मृत्यु हो जाती हैं.


सांप अपने वचन के पक्के कुंवर तेजा जी को साँपों के देवता के रूप में पूजे जाने का वरदान देते हैं. आज भी तेजाजी के देवरा व थान पर सर्प दंश वाले व्यक्ति के धागा बाँधा जाता हैं. तथा पुजारी जहर को चूस कर निकाल लेते हैं.

धर्म धरा व धेनु की रक्षार्थ जिन महापुरुषों ने कार्य किया, संघर्ष किया और बलिदान दिया वे लोकदेवता की श्रेणी में आते है. आज भी जनता में उनके प्रति अटूट श्रद्धा है इनके प्रसिद्ध मेले लगते है.

भूतकाल में कुछ ऐसें व्यक्ति जनता के सामने आए जिन्होंने जनता व गोवंश की रक्षा, दलित जातियों का उद्धार एवं धर्म की रक्षार्थ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई एवं अपने प्राणों का भी उत्सर्ग किया. इनमे गोगाजी, तेजाजी के अलावा पाबूजी का नाम आता है.


गो रक्षक तेजाजी नागौर जिले के खारनालिये गाँव के रहने वाले थे. तेजाजी का जन्म माघ शुक्ला चतुर्द्र्शी विक्रम संवत् 1130 में हुआ. बाल्यकाल में ही विवाह हो जाने के इन्हें यह भी पता नही था कि मै विवाहित हू. एक दिन तेजाजी जब खेत में हल चला रहे थे, उस दिन इनकी भाभी देर से खाना लेकर पहुची.


इस पर तेजाजी ने कहा इतनी देर कहा हो गई तब भाभी बोली कि तुम्हारी पत्नी तो पीहर में बैठी मौज कर रही है मै यहाँ काम के मारे पिसती जा रही हु. तेजाजी को यह बहुत बुरा लगा. अपने ससुराल का पता पूछकर बिना भोजन किये ही घोड़ी पर सवार होकर ससुराल की ओर रवाना हो गये.


जब तेजाजी ससुराल पहुचे तो इनकी सास गायों से दूध निकाल रही थी. तेजाजी के घोड़े (लीलण) के खुर की आवाज सुनकर दूध देती गाय बिदक गई. इस पर सासू बोली- ‘कि नाग रो झातियोड़ो ओ कुण है ? जणी गायां ने भिड्का दी. तेजाजी ने जब यह सुना तो यह बहुत बुरा लगा. वे तत्काल वहां से लौट गये. जब ससुराल वालों को पता चला तो तेजाजी को रोकने की बहुत कोशिश की मगर, पर वे नही माने.


पत्नी ने बमुश्किल एक रात रुकने के लिए राजी किया. लेकिन तेजाजी ने कहा वे ससुराल में नही ठहरेगे. अतः वे लाछा नामक गुजरी के यहाँ एक रात को रुके. रात को कुछ चोर आए और लाछा गुजरी की गाये घेर ले गये. तेजाजी को पता चला तो चोरो के पीछे घोड़ी पर चढ़ कर भागे. रास्ते में लकड़ी के जलते ढेर में एक साँप को जलते देखा, तेजाजी ने भाले की नोक से उसे बाहर निकाला.


तब सांप बोला मै तुम्हे डसुगा. तेजाजी ने कहा मै अभी गायेछुड़ाकर आता हु तब डसना. जब तेजाजी गायें छुड़ाकर आए तो चोरों से लड़ाई में उनका शरीर खून से लथपथ हो चूका था. सांप ने कहा शरीर पर खून है, मै कहा डसू, तब तेजाजी ने अपने मुह से जिह्वां निकाली और कहा यहाँ डसों. सांप ने डसा और वे प्राणांत हो गये. इनकी पत्नी पेमल पीछे सती हो गई. तेजाजी की गाये छुड़ाने व वचन पालन की ख्याति फ़ैल गई, जगह जगह तेजाजी के मन्दिर बन गये.

सर्प दंश से पीड़ित व्यक्ति इनकें स्थानकों पर आकर इलाज करवाते है. तथा भाद्रपद शुक्ला दशमी को तेजाजी की स्मृति में मेला भरता है, जहाँ हजारों लोग मेले में आकर लोक देवता तेजाजी की पूजा करते है.

माघ शुक्ला, चौदस संवत 1130 यथा 29 जनवरी 1074 के दिन तेजाजी महाराज का जन्म नागौर के खरनाल गाँव में हुआ था. ताहरजी (थिरराज) और रामकुंवरी के धोलिया जाट परिवार में जन्मे तेजाजी के पिता खरनाल गाँव के मुखिया थे.


पास ही गाँव में कम उम्र में ही तेजाजी का विवाह पेमल नामक कन्या के साथ हुआ था. दोनों परिवारों के बिच किसी विवाद को लेकर लड़ाई हुई जिनमे पेमल के मामाजी मारे गये थे. इस बैर की आग के कारण तेजाजी और पेमल के बड़े होने तक एक दुसरे के साथ विवाह की बात घरवालों द्वारा छुपाकर रखी गई.


मगर एक दिन खेत जोतते समय भाभी के बहुत देरी से आने पर तेजाजी ने अपनी भाभी से देर से आने का कारण पूछा तो उन्होंने ताने भरे स्वरों में पेमल के साथ उनके विवाह की बात सुनाई. इस पर तेजाजी पेमल को लाने के लिए ससुराल जाते है रास्ते में अपशगुन के बाद भी अपने निश्चय में बदलाव नही लाते है.


रास्ते में उन्हें एक जलता सांप दिखता है. कुंवर तेजा ने उस सांप को आग से बाहर निकाल दिया. इस पर उन साप देवता को गुस्सा आया और तेजाजी को डसने की बात कही तेजाजी उन नाग देवता को वापस आकर अपना वचन पूरा करने का वादा करके ससुराल जाते है. वहां उनका स्वागत किया जाता है. देर रात उस गाँव में कुछ चोरो द्वारा गुजरी की गांए चुरा ली जाती है.


वो अपनी गायों की रक्षा के लिए तेजाजी के पास आती है. तेजाजी उन चोरों का पीछा करते हुए गायों को गुजरी तक पहुचाकर नाग देवता के पास अपना वचन पूरा करने जाते है. लहूलुहान हालात में देखकर सांप को डसने की जगह नही मिलने पर तेजाजी अपनी जीभ पर उन्हें डसने के लिए कहते है. इस तरह सर्प के साथ किये वचन और उसकी पूर्ति के साथ ही तेजाजी महाराज की कथा समाप्त होती है.

वीर तेजाजी राजस्थान मध्यप्रदेश और गुजरात राज्यों के प्रसिद्ध लोक देवता है. किसान वर्ग में जन्मे कुवर तेजाजी को समस्त कृषक वर्ग खुशहाली के देव के रूप में मानते है. खड़नाल (नागौर) में जन्मे तेजाजी को गौरक्षक और अपने वचन पर अट्टल रहने वाले महापुरुष थे.

Veer tejaji maharaj ki aarti 

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वीर तेजाजी महाराज की आरती

थारा हाथ माहि कलश बड़ो भारी कुवर तेजाजी हावो साबत सुरा ओ..

धौरे धौरे आरती उतारू थाकी तेजा ओ..

लीलो घोड़ो असवारो कुवर तेजाजी

हां वो सावत सुरा ओ..

धौरे धौरे आरती उतारू थाकी तेजा ओ..

सावली सूरत काना मोती कुंवर तेजाजी ओ.. हां वो..

परियो थे कोट जरी को कुंवर तेजाजी. हां वो.

बांध्यो थे तो पंचरंग पागा कुंवर तेजाजी.. हां वो

थारा गला में झूमे वासक राजा कुंवर तेजाजी . हा वो.

कलयुग जोत सवाई कुवंर तेजाजी हां वो.

खेड़े खेड़े देवली बनाय कुंवर तेजाजी. हां वो.

बेटे है यों जाट को ने अमर कमायो नाम रे.

नौमी धारी रात जगावा कुंवर तेजाजी, हां वो..

दशमी को मेलों भरवे कुंवर तेजाजी . हां वो

नौमी धरा सु दूध चढ़ावा कुंवर तेजाजी.

दसमी रो चूरमो चढ़ावा कुंवर तेजाजी.

बाला की तांती बँधावा कुंवर तेजाजी.

काला रा खायोड़ा आवे कुंवर तेजाजी.

भैरूजी नारेल चढ़ावा कुंवर तेजाजी.

मीणा ने मार भगाया कुंवर तेजाजी.

बांध्या थे ढाल गेडा कुँवर तेजाजी.

धारा हाथ में ही भालों बीजण सारो कुंवर तेजाजी.

धन धरी जामण जांवो कुंवर तेजाजी.

पाणी री छनयारी धारी धरम केरी बेनवा वो हां वो.

गावे थाने लोग लुगाया कुंवर तेजाजी

धौरे धौरे आरती उतारू थाकी तेजा ओ..

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लोकदेवता तेजाजी पेनोरमा, खरनाल, नागौर


कला एवं संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार ने वीर तेजाजी की जन्म स्थली खरनाल में एक भव्य पेनोरमा का निर्माण करवाया हैं. एक करोड़ रु की राशि से बने इस पेनोरमा का निर्माण कार्य पूर्ण हो चूका हैं अब भक्तों के दर्शन के लिए इन्हें खोल दिया जाएगा.


तेजाजी का मंदिर


जाट समुदाय वीर तेजाजी को शिव के समकक्ष मानते हैं. देशभर में तेजाजी के देवालय बने हुए हैं इन मन्दिरों को देवरा या थान के नाम से जाना जाता हैं. पी.एन.ओक नामक एक इतिहासकार ने अपनी पुस्तक ताजमहल इज ए हिन्दू टेम्पल प्लेस में 100 से अधिक तथ्य पेश कर साबित कर चुके हैं, आगरा का ताजमहल एक समय में तेजोमहल था.


मुगलों ने जिसे तुड़वाकर ताजमहल का रूप दे दिया था. इस बात को सच साबित करने के लिए इतिहासकार ने आगरा के आस-पास जाट बहुल आबादी का होना तथा तेजोमहालय में शिवलिंग के साथ साथ तेजलिंग का पाया जाना इसकी पुष्टि करता हैं. जाट समुदाय वीर तेजाजी को शिवजी का अवतार मानते हैं.



दक्षिण भारत में तेजाजी मंदिर


चेन्नई में वीर तेजाजी का ऐतिहासिक मन्दिर निर्माण होने जा रहा हैं, दक्षिण भारत के इस मन्दिर का निर्माण वीर तेजा जाट नवयुवक मंडल द्वारा चेन्नई के पुझल शक्तिवेल नगर में करवाया जा रहा हैं. इस पांच मंजिले मंदिर पर तेजाजी और पेमल की 51 फीट ऊंची भव्य प्रतिमा लगेगी. पूर्ण निर्माण के बाद भारत में यह एक तरह का अनोखा मन्दिर होगा.


तेजा दशमी


भाद्रपद शुक्ल 10 संवत 1160 (28 अगस्त 1103) के दिन लोकदेवता वीर तेजाजी ने अपना बलिदान दिया था, इस दिन उनकी जयंती को तेजादशमी के रूप में मनाया जाता हैं. इस मौके पर खरनाल में विशाल मेला भरता हैं तथा दूर दूर से भक्त आकर मत्था टेकते हैं.

तेजाजी महाराज का मशहूर भजन

https://youtu.be/wjLSy6cKfdM







Wednesday 18 May 2022

अगर श्याम तेरी ,कृपा न होती तो गरीबो को दुनिया जीने न देती agar shyam teri kripa na hoti to gareebo ko duniya jeene n deti

अगर श्याम तेरी कृपा न होती,

गरीबो को दुनिया जीने न देती।


दर दर की ठोकर खाते सुदामा,
अगर श्याम होता ना तेरा ठिकाना |
जरा सोचो उनकी दशा कैसी होती,
गरीबों को दुनिया जीने ना देती ||

अगर श्याम तेरी कृपा ना होती,
गरीबों को दुनिया जीने ना देती ||

युगो तक अहिल्या पापिणी रहती,
शबरी की कुटिया भी वीरान रहती |
जो नरसी भी रोता और नानी भी ||

अगर श्याम तेरी कृपा ना होती,
गरीबों को दुनिया जीने ना देती ||

अगर तुम ना भरते दिनो की झोली,
ना मनती कभी उनके घर में दिवाली |
रोने को भी सोनू जगह ही ना होती,
गरीबों को दुनिया जीने ना देती ||

अगर श्याम तेरी कृपा ना होती,
गरीबों को दुनिया जीने ना देती ||

अगर श्याम तेरी किरपा ना होती,
गरीबों को दुनिया जीने ना देती ||

Saturday 14 May 2022

बाबा का दरबार सुहाना लगता है, भक्तो का तो दिल दीवाना लगता है

 बाबा का दरबार सुहाना लगता है,

भक्तों का तो दिल दीवाना लगता है ||

हमने तो बड़े प्यार से कुटिया बनायीं है,
कुटिया में बाबा तेरी मूरत सजाई है ||
अच्छा हमें तुमको सजाना लगता है,
भक्तों का तो दिल दीवाना लगता है ||

रंग बिरंगे फूलो की लड़िया लगे प्यारी,
बालाजी तेरी सूरत हमे लागे बड़ी न्यारी |
अच्छा हमें तुझको मनाना लगता है,
भक्तों का तो दिल दीवाना लगता है ||

हम तेरी राहों को पलकों से बुहारेंगे,
तुम ना आओगे तो बाबा तुम्हें पुकारेंगे |
अच्छा हमें तुझको बुलाना लगता है,
भक्तों का तो दिल दीवाना लगता है ||

हम तेरी चोखट पे बाबा बिछ बिछ जायेंगे,
कहते है भक्त तेरी महिमा गाएँगे ||
अच्छा हमे रिश्ता निभाना लगता है,
भक्तों का तो दिल दीवाना लगता है ||

बाबा का दरबार सुहाना लगता है,
भक्तों का तो दिल दीवाना लगता है ||

          


Sunday 6 September 2020

Khatu Ka Raja Mehar Karo | खाटू का राजा मेहेर करो Bhajan Lyrics

Khatu Ka Raja Mehar Karo |  खाटू का राजा मेहेर करो

तांसु बीनती करा हा बारंबार

सुनो जी सरकार, ख़ातु का राजा मेहेर करो,
मेहेर करो जी अब तो देर करो ना थे देर करो,
तांसु बीनती करा हा बारंबार,
सुनो जी सरकार, ख़ातु का राजा मेहेर करो,

था बिन नाथ अनाथ की जी, कुन्न रखे लो टेक,
म्हस्सा थके मोकला जी, तसा तो म्हारे थे ही, एक,
ख़ातु का राजा मेहेर करो,
तांसु बीनती करा हा बारंबार,
सुनो जी सरकार, ख़ातु का राजा मेहेर करो,


जानू हू दरबार ँहे तारे, घनी लगी है भीर,
तारे बिन किस विढ़ मई तेल गयी,
भूल भगत की या पीर,
ख़ातु का राजा मेहेर करो,
तांसु बीनती करा हा बारंबार,
सुनो जी सरकार, ख़ातु का राजा मेहेर करो,

जूजु बीते टेम इते जो जी, च्छुत्ो जावे भीर,
उजलो आवे कलजो जी, उजलो आवे कलजो जी,
नैना सू ताप टपके नीर,
ख़ातु का राजा मेहेर करो,
तांसु बीनती करा हा बारंबार,
सुनो जी सरकार, ख़ातु का राजा मेहेर करो,

साथी म्हारे जिव्ह का थे तसे च्चणी ना,
जानबूझ के मत तरसाओ, जानबूझ के मत तरसाओ,
हिवादे से लेव लिपताए,
ख़ातु का राजा मेहेर करो,
तांसु बीनती करा हा बारंबार,
सुनो जी सरकार, ख़ातु का राजा मेहेर करो,

की लज्जा रखी, गाज को कथोकांत,
सुन्न कर टर देर मत किजो,
श्याम बिहारी ब्रिजचंद,
ख़ातु का राजा मेहेर करो,
तांसु बीनती करा हा बारंबार,
सुनो जी सरकार, ख़ातु का राजा मेहेर करो,

तांसु बिनारती करा हा बारंबार,
सुनो जी सरकार, ख़ातु का राजा मेहेर करो,

मेहेर करो जी अब तो देर करो ना थे देर करो,

Song : Khatu Ka Raja Mehar Karo |  ख़ातु का राजा मेहेर करो

Saturday 15 August 2020

Chali Shiv Shambhu Ki Barat | चली शिव शम्भू की बारात Bhajan Lyrics

               चली शिव शम्भू की बारात


चली शिव शम्भु की बरात है ग्यारा लाख बाराती साथ,

बाँध लिया सर्पो का सेहरा अंग भभूती शिव ने रमा ली 
लगा लिया नंदी पे आसन भंग की झोली संग लटका ली 
पार्वती से व्याह रचाने चले है भोले नाथ,
चली शिव शम्भु की बरात है ग्यारा लाख बाराती साथ,

वेद मन्त्र पड़ते है भरमा शिव शिव गाये माँ ब्रह्मानी 
चवर झुलाए श्री नारायण देख के शिव जाए बलिहारी 
लक्ष्मी मैया ने लक्ष्मी की शिव पे करी बरसात 
चली शिव शम्भु की बरात है ग्यारा लाख बाराती साथ,

सरस्वती की वीणा बाजी 
मंगल काल करे पुरवाई 
देव लोक है दे रहा शिव शम्भु को आज वधाई 
दिन से भी ज्यदा उजली है देखो आज की रात 
चली शिव शम्भु की बरात है ग्यारा लाख बाराती साथ,

भोले के चेलो की टोली हर हर हर महादेव है बोली 
आगे आगे देवता सारे पीछे भूतो की रंगोली 
दास पवन मुस्काये देख के डमरू शिव के हाथ 
चली शिव शम्भु की बरात है ग्यारा लाख बाराती साथ,

Song: Chali Shiv Shambhu Ki Barat | चली शिव शम्भू की बारात Bhajan Lyrics


Friday 14 August 2020

Gokul me Dekho Vrindavan Mein Dekho Radha Nache re | गोकुल में देखो वृन्दावन में देखो मुरली बाजे रे श्याम संग राधा नाचे रे,

Gokul me Dekho Vrindavan Mein Dekho Radha Nache re | गोकुल में देखो वृन्दावन में देखो मुरली बाजे रे श्याम संग राधा नाचे रे

गोकुल में देखो वृंदावन में देखो मुरली वाजे रे,

श्याम संग राधा नाचे रे 


छम छम नाचे राधा रानी 

सुन के मीठी मुरलियां 

श्याम छवि में सब बलिहारी ग्वाल वाल और गईया,

सरस सरस चले रे बदरी पुरवैयाँ,

मेगहा बरसे रे श्याम संग राधा नाचे रे,


बंसी बट पर यमुना तट पर कान्हा रास रचाए,

गोपी बन कर शंकर आये गोपेश्वर कहलाये 

डम डम डमरू बाजे कान्हा की मुरली पे 

सब जग नाचे रे श्याम संग राधा नाचे रे,


चंदर किरण सा श्याम सलोना दो आँखे कजरारी 

ठुमक ठुमक नाचे गोपियाँ के संग जग का पालन हारी 

रास बिहारी संग राधा कुमारी संग ब्रिज में बिराजे रे,

गोकुल में देखो वृंदावन में देखो मुरली वाजे रे,


Song: Gokul me Dekho Vrindavan Mein Dekho Radha Nache re | गोकुल में देखो वृन्दावन में देखो मुरली बाजे रे श्याम संग राधा नाचे रे


Jiske Jap Tap Se Milta Hai Tan Man Ko Aaram | जिसके जप तप से मिलता है तन मन को आराम Bhajan Lyrics

Jiske Jap Tap Se Milta Hai Tan Man Ko Aaram | जिसके जप तप से मिलता है तन मन को आराम Bhajan Lyrics

जिस के जप तप से मिलता है तन मन को आराम,

वो राधा का श्याम वो मीरा का घनश्याम,


सारे जग का इक खिवैइया सब का पार लगिया,

मीरा का घनश्याम कहे कोई राधा का वो कन्हियाँ 

सब के मन को शीतल करता वो प्यारा सा नाम 

वो राधा का श्याम वो मीरा का घनश्याम,


राधा का वो रास रचियाँ मीरा के करुना कर 

धन्ये किया मीरा को प्रभु ने अपना दर्श दिखा कर,

अमर हुए है भक्त प्रभु के करे जो ऐसा काम 

वो राधा का श्याम वो मीरा का घनश्याम,


राधे श्याम की मूरत जग में लगती बड़ी सुहानी 

मीरा जैसे भगती रंग में डुभे जो भी प्राणी 

तन मन धन से रहे समर्पित प्रभु में आठो याम 

वो राधा का श्याम वो मीरा का घनश्याम,

Song : Jiske Jap Tap Se Milta Hai Tan Man Ko Aaram | जिसके जप तप से मिलता है तन मन को आराम Bhajan Lyrics